Saturday, April 24, 2010

मेरा रब मेरा यार वे

ये ले तेरे खेल खिलोने ,ये मेरे किस काम के,
मुझको तो तू यार मिला दे , जग है ये बेईमान रे..

मैंने कब मांगे है तुझसे , तेरे सूरज चाँद सितारे,
मैंने तो बस यार है माँगा, मेरा चाँद मेरा यार रे..

तू झूठा ,तेरा जग भी झूठा , झूठा सब संसार रे,
क्यों मानू मैंने अब सच कुछ भी, मिलिया जब ना यार वे...

कब मांगे रस्ते फूलो से , माँगा बस उसका साथ रे,
हाथ कोई छूटे रस्ते में , छूटे ना उसका साथ वे..

क्या देखू इस रोनक रंग को, ये मेरे किस काम के,
मुझको तो तू यार मिला दे, मेरा रब मेरा यार वे....

3 comments:

  1. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

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  2. ब्लौगर बंधु, हिंदी में हजारों ब्लौग बन चुके हैं और एग्रीगेटरों द्वारा रोज़ सैकड़ों पोस्टें दिखाई जा रही हैं. लेकिन इनमें से कितनी पोस्टें वाकई पढने लायक हैं?
    हिंदीब्लौगजगत हिंदी के अच्छे ब्लौगों की उत्तम प्रविष्टियों को एक स्थान पर बिना किसी पसंद-नापसंद के संकलित करने का एक मानवीय प्रयास है.
    हिंदीब्लौगजगत में किसी ब्लौग को शामिल करने का एकमात्र आधार उसका सुरूचिपूर्ण और पठनीय होना है.
    कृपया हिंदीब्लौगजगत को एक बार ज़रूर देखें : http://hindiblogjagat.blogspot.com/

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