Thursday, December 30, 2010

कुछ कदमो का वो फासला

एक नहीं मिली तो तेरी खबर नहीं मिली, 
ऐसे तो मुझे सारा जहा मिल गया, 
तुझे कितना भूला और तू याद आता ही रहा , 
ना खाली रस्ते में , ना महफ़िल तू मुझे मिला..
 मैंने कब मांगी वफ़ा , और तुने कब दी वफ़ा मुझको,
 साथ सस्ता था आपना , तभी दूर तलक ना चला, 
ऐसी भी नहीं है, तू मुझे कभी भूल जायेगा, 
याद तुझको भी रहेगा, कुछ कदमो का वो फासला...

Wednesday, December 29, 2010

तेरे हर इलज़ाम को सर झुकाया मैंने

रँग धुंधले हुए तो कुछ समझ आया मुझे ,

एक तस्वीर को इतना क्यूँ इतना सजाया मैंने ... 

मैं प्यार करता रहा , और तू कभी समझी नहीं, 

क्यों नासमझ से दिल लगाया मैंने... 


तेरे दिल को मैंने तो घर मान लिया, 

हर त्यौहार वही फिर मनाया मैंने, 

मैं दीया जालाये बैठा ही रहा , 

हर दुआ में तेरी खुशियों को ही बुलाया मैंने...... 


 तू दूर है, और मेरी अब है भी नहीं, 

गुज़री बातो से मान बहलाया मैंने.....

मेरे एहसास मैं कह भी ना पाया, 

तेरे हर इलज़ाम को सर झुकाया मैंने......