Friday, April 30, 2010

जान पर अब बन आई है

कोपल अब है फुट रही,
आस पास के पेड़ो पर,
मन बेचैन हुआ मेरा भी,
तेरी आहट सुनने को..

देख बदल गया है मोसम ,
फिर रुत नई सी आई है,
छोड़ भी दे गुस्सा अब , तू जालिम,
ये कैसी तेरी लड़ाई है...

ना तू जीतेगा ,ना मैं जीतूंगी
और हम तुम सब खो बैठेगे ,
तू आजा ,या मुझे बुला ले,
जान पर अब बन आई है....

पर जान नहीं जाती ये

कितने ख़त लिखे मैंने ,
वादे भी किये कितने सारे,
तू फिर भी प्यार को समझा ना,
किये कितने जतन, अब हम है हारे...

रास्ता तो अब भी देख रहे ,
नेना मेरे रस्ते पे खड़े ,
शाम तलक तुझको ढूंडा ,
सुबह से फिर ये, दर पे लगे...

दिल मेरा अब तब रुक जाता है,
साँसे भी थम सी जाती है,
पर जान नहीं जाती ये फिर भी ,
तुझ पर आकर रुक जाती है...

मैं खुश हू तुझसे भी ज्यादा...

सुबह तुझसे शुरू हो,
शाम भी बस तू हो,
जागे रात भी संग संग ,
हर आरजू भी तू हो.....

तू साथ य़ू चला है ,
तेरा प्यार य़ू मिला है,
रास्ता ये ज़िन्दगी का,
कुछ हशीन लगने लगा है.....

तुझसे किया ये वादा,
तेरे साथ का इरादा,
तुझसे खुश देख कर,
मैं खुश हू तुझसे भी ज्यादा...

Sunday, April 25, 2010

कैसे मुझे तुम मिल गए

कैसे मुझे तुम मिल गए, सपने सारे तुम बन गए,
और अब क्या मेरी खुशी,हर खुशी तुम बन गए....

इतना पाया ना कभी सुकून, तुम दिल का सुकून बन गए,
अब ना मैं मंगू कुछ और , मेरा तुम जूनून बन गए....

अब ना लागे कही ये मन , मनमीत तुम बन गए,
रौशनी तेरी हर तरफ़, रौशनी तुम बन गए .....

बस अब तुम से मिलू , फिर जीयु ना जीयु,
ज़िन्दगी तुम्ही से अब , ज़िन्दगी तुम बन गए....

कैसे मुझे तुम मिल गए, सपने सारे तुम बन गए......

आदत सी हो गयी है

आदत सी हो गयी है,उनसे दिल लगाने की,
आँखों में आँखे डालने की,फिर नज़रे झुकाने की,
कहाँ उन बिन मुझे ,अब चैन आता है,
आदत सी हो गयी है, नजदीक उनके जाने की....

ख़ुशी भी उनसे आती है, चैन भी उनसे आता है,
हर फूल का रंग,मेरे रंग में मिल जाता है,
सतरंगी आसमान में, तारो की रौशनी है,
बात किसी की भी हो, नाम उनका ही आता है....

जब लिखती हू , तेरा मेरा अफसाना लिखती हू,
कागज़ पर ,तेरा नाम दोबारा लिखती हू,
हर आता पल , तेरी याद लिए आता है,
तुझसे मिलने का , रोज़ नया बहाना लिखती हू....

पहचानते नहीं

कहते है वो की हमको जानते नहीं ,
मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं,
जो छीना मुझसे ,वो मांगते तो एक बार,
जो अपने थे कभी,अब मेहमान भी नहीं,

मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं.....

घंटो मेरी गली में ,करते थे इंतजार ,
कहते थे की मर जायेगे,बिन दीदारे यार,
अब नाम भी लेते नहीं,
और मानते भी नहीं....

मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं.....

Saturday, April 24, 2010

मेरा रब मेरा यार वे

ये ले तेरे खेल खिलोने ,ये मेरे किस काम के,
मुझको तो तू यार मिला दे , जग है ये बेईमान रे..

मैंने कब मांगे है तुझसे , तेरे सूरज चाँद सितारे,
मैंने तो बस यार है माँगा, मेरा चाँद मेरा यार रे..

तू झूठा ,तेरा जग भी झूठा , झूठा सब संसार रे,
क्यों मानू मैंने अब सच कुछ भी, मिलिया जब ना यार वे...

कब मांगे रस्ते फूलो से , माँगा बस उसका साथ रे,
हाथ कोई छूटे रस्ते में , छूटे ना उसका साथ वे..

क्या देखू इस रोनक रंग को, ये मेरे किस काम के,
मुझको तो तू यार मिला दे, मेरा रब मेरा यार वे....

ये कहानी हुई

दर्द बढ़ता रहा ,
नींद जाती रही,
तुने सब कह दिया ,
मैं छुपाती रही..

ऐसी आँखे मिली,
मैं दीवानी हुई,
तुझपे आकर रुकी,
सबसे अनजानी हुई...

वक़्त कटने लगा,
तेरी राहो में यू,
भूली सारा ज़माना,
ये कहानी हुई...

नये सपने सजे ,
तेरी यादें मिली,
नाम तेरा लिए ,
मैं मुस्कुराने लगी...

अब हीर ना कहना कोई

राँझा राँझा करती नी मैं, आपे राँझा होई,
सब में मुझको तू ही दिखता, दिखता ना होर कोई....

तुझ में ही खो बैठी खुदको,रात रात ना सोयी,
हर रस्ते तू मिल जाता है, मिलता ना होर कोई...

तेरी बाते ही बस सुन पाती ,कान सुने ना गल कोई,
तुने कैसा किया दीवाना , मुझसा ना अब कोई,

तेरे संग लगा मन मेरा, तू मेरा हर कोई,
आवाज़ सुनी ना जिस दिन तेरी,रात रात मैं रोई....

नाम मेरा सब क्यों लेते है , ना राँझा कहता कोई,
मैं तुझ में, और तू अब मुझ में , अब हीर ना कहना कोई.....