साथ मेरे परछाई सी देखी देती है,
कैसे कहू की वो मेरे साथ नहीं है अब,
चलती साँसे, उस की मोह्बात की दुहाई देती है.....
तनाह युही मैंने, उसे याद किया है,
मेरी खोटी सी चाहत ने, उसका नाम लिया है,
अब नहीं आएगा , वो मुझसे मिलने को कभी,
फिर क्यों हर आहट , उसकी सी सुनाई देती है...