मेरी झुकती आंखो का मतलब , मेरे चेहरे की ये रंगत,
मेरे हाथो का ये कम्पन,मेरे सासों की ये हलचल,
उड़ती उड़ती ये जुल्फे मेरी,माथे की चम चम करती बिंदिया,
कब समझ मुझे ये आया था, सब तुमने ही समझाया था ।
काली काली ये लम्बी राते ,टीम टीम करते ये तारे सारे,
टिप टिप करती बारिश की बूंदे , नदिया में पानी की हलचल,
सूरज का ढलने से पहले ,धरती का सजना ऐसे हर दिन,
कब नज़र मुझे ये आया था, सब तुमने ही दिखलाया था।
उस पंछी की गगन से मिलने क कोशिश ,बदल से मिलती ये धरती,
फूलों की खिलने की चाहत ,भवरे के आने की आहट,
तेरे चेहरे की ये मस्ती, तेरी आंखो का दीवानापन ,
कब समझ ये आया था, सब तुने ही समझाया था।
तुझेसे मिलकर मुझ में अब , मुझसा कुछ रहा नही,
तुझको ही दिल याद करे, मिलने की तुझे ये सपने देखे मन,
हाथो में हाथ लिए हम तुम, अब जन्मों तक यू साथ चले,
कुछ तो मेरे दिल में भी है,ये धड़कन ने बतलाया है,
कब नज़र मुझे ये आया था ,कब समझ मुझे ये आया था,
तुमने ही सब दिखलाया था, सब तुमने ही समझाया था ।
Thursday, July 31, 2008
कुछ और चलो अब बात करे
कुछ और चलो अब बात करे ,दुनिया में कितना कुछ है बाकी,
सपने तो कितने है अब भी , और जान अभी है बाकी !!
क्यों वो सब हम याद करे, जो नही हमारे बस में था,
क्यों उन अपनों को याद करे,जो नही कभी भी आपना था !!
फूलों का खिलना भी एक सच है,सावन का आना भी एक सच,
सूरज का ढालना भी एक सच है,बारिश बिन धरती का जलजाना भी एक सच!!
जीवन तो चलता रहता है , मन तारे गिनता रहता है,
हर सपना मैंने दिल से पला है , पर सपना तो टूटा ही करता है !!
कब मैंने दुनिया चाही है
तेरी ख्वाइश ही तो मैने की , कब मैंने दुनिया चाही है ,
कितना दिल को समझाया ,इसको हर पल तेरी ही याद आई है,
तेरी चाहत ही तो , जिसने मुझे अब तक जिंदा रखा है,
मौत का क्या है, वो तो हर रोज़ मेरे दर पर आई है !!
ये ज़मना ही तो , जो मुझे तुझसे मिलने नही देता ,
मैंने क्या इसका लिया है , क्या मेरी इस से लड़ाई है,
तुझे चाहा , बस ये ही मेरी खता है ना ,
तू नही भी आया , तो नही कहुगी की ये बेवाफी है !!
बहते हुए पानी को , नदिया समझ बैठी थी मैंने,
नही समझ पायी , की इस में ना वो गहरायी है ,
ये भरम ही तो था , ये तो टूटना ही था एक दिन,
कहा सबको वफ़ा के बदले ,दुनिया में मिली वफाई है !!
कितना दिल को समझाया ,इसको हर पल तेरी ही याद आई है,
तेरी चाहत ही तो , जिसने मुझे अब तक जिंदा रखा है,
मौत का क्या है, वो तो हर रोज़ मेरे दर पर आई है !!
ये ज़मना ही तो , जो मुझे तुझसे मिलने नही देता ,
मैंने क्या इसका लिया है , क्या मेरी इस से लड़ाई है,
तुझे चाहा , बस ये ही मेरी खता है ना ,
तू नही भी आया , तो नही कहुगी की ये बेवाफी है !!
बहते हुए पानी को , नदिया समझ बैठी थी मैंने,
नही समझ पायी , की इस में ना वो गहरायी है ,
ये भरम ही तो था , ये तो टूटना ही था एक दिन,
कहा सबको वफ़ा के बदले ,दुनिया में मिली वफाई है !!
Subscribe to:
Posts (Atom)