मेरी झुकती आंखो का मतलब , मेरे चेहरे की ये रंगत,
मेरे हाथो का ये कम्पन,मेरे सासों की ये हलचल,
उड़ती उड़ती ये जुल्फे मेरी,माथे की चम चम करती बिंदिया,
कब समझ मुझे ये आया था, सब तुमने ही समझाया था ।
काली काली ये लम्बी राते ,टीम टीम करते ये तारे सारे,
टिप टिप करती बारिश की बूंदे , नदिया में पानी की हलचल,
सूरज का ढलने से पहले ,धरती का सजना ऐसे हर दिन,
कब नज़र मुझे ये आया था, सब तुमने ही दिखलाया था।
उस पंछी की गगन से मिलने क कोशिश ,बदल से मिलती ये धरती,
फूलों की खिलने की चाहत ,भवरे के आने की आहट,
तेरे चेहरे की ये मस्ती, तेरी आंखो का दीवानापन ,
कब समझ ये आया था, सब तुने ही समझाया था।
तुझेसे मिलकर मुझ में अब , मुझसा कुछ रहा नही,
तुझको ही दिल याद करे, मिलने की तुझे ये सपने देखे मन,
हाथो में हाथ लिए हम तुम, अब जन्मों तक यू साथ चले,
कुछ तो मेरे दिल में भी है,ये धड़कन ने बतलाया है,
कब नज़र मुझे ये आया था ,कब समझ मुझे ये आया था,
तुमने ही सब दिखलाया था, सब तुमने ही समझाया था ।
pryaas achchha hai
ReplyDeleteShivani ji aap achcha likhati hain, very nice poem
ReplyDeletenice poem
ReplyDeletevisit me vishalvermaa.blogspot.com