Thursday, July 31, 2008

कब मैंने दुनिया चाही है

तेरी ख्वाइश ही तो मैने की , कब मैंने दुनिया चाही है ,
कितना दिल को समझाया ,इसको हर पल तेरी ही याद आई है,
तेरी चाहत ही तो , जिसने मुझे अब तक जिंदा रखा है,
मौत का क्या है, वो तो हर रोज़ मेरे दर पर आई है !!

ये ज़मना ही तो , जो मुझे तुझसे मिलने नही देता ,
मैंने क्या इसका लिया है , क्या मेरी इस से लड़ाई है,
तुझे चाहा , बस ये ही मेरी खता है ना ,
तू नही भी आया , तो नही कहुगी की ये बेवाफी है !!

बहते हुए पानी को , नदिया समझ बैठी थी मैंने,
नही समझ पायी , की इस में ना वो गहरायी है ,
ये भरम ही तो था , ये तो टूटना ही था एक दिन,
कहा सबको वफ़ा के बदले ,दुनिया में मिली वफाई है !!

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