Friday, April 30, 2010

मैं खुश हू तुझसे भी ज्यादा...

सुबह तुझसे शुरू हो,
शाम भी बस तू हो,
जागे रात भी संग संग ,
हर आरजू भी तू हो.....

तू साथ य़ू चला है ,
तेरा प्यार य़ू मिला है,
रास्ता ये ज़िन्दगी का,
कुछ हशीन लगने लगा है.....

तुझसे किया ये वादा,
तेरे साथ का इरादा,
तुझसे खुश देख कर,
मैं खुश हू तुझसे भी ज्यादा...

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव लिए हुए एक शानदार प्रस्तुति...ईमान से ......मज़ा आ गया ...प्रेम की रचना हो और हम से छुपी रहे ....:) नहीं हो सकता .....बधाई ..बस लिखते रहे ...हमें इन्तजार है

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  2. कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

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