Saturday, May 1, 2010

बस अब तू मंजिल पायेगा...

कुछ कुछ तकलीफे भी होगी, कुछ दिल भी घबराएगा ,
कुछ सपने टूटेगे भी , कई बार तू डर जाएगा,
जब सब कुछ बिखरा हुआ लगे , और तब तू कदम बढ़ाएगा,
तब कुछ पल की बस दुरी होगी,बस अब तू मंजिल पायेगा...

हर पल तेरा मुस्काना ,हर मुश्किल को दूर भागना,
ख़ुद को भी सहस देना, और हर साथी का हाथ बटाना,
हाथो की रेखा का , लेखा भी बदल ही जाएगा,
सब व्यर्थ नही ये जाएगा,बस अब तू मंजिल पायेगा...

किसके रुके , किसके बांधे ,ये बादल रुक जाते है ,
जब मौसम सावन का आए, ये मेघ बरस ही जाते है,
मत घबरा इस तेज़ दुप से ,मौसम बदल ही जाएगा,
हर सपना सच होगा तेरा,बस अब तू मंजिल पायेगा..

5 comments:

  1. wah, wah! Hindi ki nayi kaviyitri ...

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  2. हर पल तेरा मुस्काना ,हर मुश्किल को दूर भागना,
    ख़ुद को भी सहस देना, और हर साथी का हाथ बटाना,
    किसके रुके , किसके बांधे ,ये बादल रुक जाते है ,
    जब मौसम सावन का आए, ये मेघ बरस ही जाते है,

    sundar pankityaa ....aek aur achhi kavita ..bas aise hi likhte rahiye

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  3. रचना का शब्द शिल्प और सज्जित हो तो कथ्य प्रभावी हो जाय ।

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  4. किसके रुके , किसके बांधे ,ये बादल रुक जाते है ,

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