Thursday, May 27, 2010

मैं जग छोड़ दूगी

बहुत वक़्त आयेगे , रस्ते में हमारे, 
गुज़र जायेगे सब , एक तेरे ही सहारे... 

 कभी खुशिया होंगी, कभी गम भी होंगे , 
मुझे है कसम , साथ हम तेरे सदा होंगे... 

 ये वादा नहीं है , जो मैं तोड़ दूगी, 
ये दुनिया है मेरी, मैं कैसे छोड़ दूगी.... 

 तू एक बार कहना , क्या तेरी ख़ुशी है, 
तेरी हंसी के लिए , मैं जग छोड़ दूगी...

4 comments:

  1. तू एक बार कहना , क्या तेरी ख़ुशी है,
    तेरी हंसी के लिए , मैं जग छोड़ दूगी...

    साधे शब्दों में ,,,सुन्दर लेखन ,,,,सुन्दर विचारों की अभिव्यक्ति ,,,शीर्षक भी उत्तम है ////////कुछ नया है यहाँ ,,,सुझाव दे http://athaah.blogspot.com/

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  2. एहसास की यह अभिव्यक्ति बहुत खूब

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  3. आप लिखना जारी रखें ! अपनों से न सही ऊपर वाले से उम्मीद रखें!

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  4. क्या भाव हैं. वाह. बहुत अच्छा लगा पढकर. अच्छे लेखन के लिए बधाई.

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