Sunday, September 13, 2009

कुछ ऐसी लम्हे , मैंने बिताये तेरे साथ,
कितनी दूर तक गए हम, लिए हाथो में हाथ,
रहा दिल में सुकून,जब तक हम थे साथ साथ,
सपने है तेरे आँखों में,अब दिन और रात...

मैंने तो कब का लिखना , छोड़ दिया था,
कागज़ और कलम को , हाथो में कब से नहीं लिया था ,
तेरी याद आई और , एहसास खुद चलने लगे,
साथ बिताये लम्हे , खुद कागज़ पर उतरने लगे...

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