Saturday, September 12, 2009

कैसे थामू मैं अब मुझको

तुझको मैंने कई बार लिखा, कागज़ पर लिखा, हाथो पर लिखा,
सबने देखा ,सबने ही पढ़ा, ना तुने देखा , ना तुने पढ़ा....

किस रंग से लिखू मैं तुझको , मुझको उस रंग का रंग तो बता.
जो तू देखे , और तू पढ़ ले , उस रंग का मुझको तू रंग समझा....

हर कोई अब जान गया, नहीं बात किसी से ये है छुपी,
तेरी आहट सुनते ही तो, सांसे ये चली,अब तक थी रुकी.....

ये परबत भी गिर जायेगा,धरती ना दे जो आँचल इस को,
जब तू मेरे पास नहीं , कैसे थामू मैं अब मुझको....

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