Wednesday, December 29, 2010

तेरे हर इलज़ाम को सर झुकाया मैंने

रँग धुंधले हुए तो कुछ समझ आया मुझे ,

एक तस्वीर को इतना क्यूँ इतना सजाया मैंने ... 

मैं प्यार करता रहा , और तू कभी समझी नहीं, 

क्यों नासमझ से दिल लगाया मैंने... 


तेरे दिल को मैंने तो घर मान लिया, 

हर त्यौहार वही फिर मनाया मैंने, 

मैं दीया जालाये बैठा ही रहा , 

हर दुआ में तेरी खुशियों को ही बुलाया मैंने...... 


 तू दूर है, और मेरी अब है भी नहीं, 

गुज़री बातो से मान बहलाया मैंने.....

मेरे एहसास मैं कह भी ना पाया, 

तेरे हर इलज़ाम को सर झुकाया मैंने......

3 comments:

  1. बहुत ही शानदार लिखा है आपने. लिखते रहिये. लगे रहिये. वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें

    ReplyDelete
  2. शानदार शानदार शानदार शानदार
    नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!

    ReplyDelete
  3. Sanjay Ji@ Sukariya ...aapko bhi naaye saal bhi bahut bahut shubhkamnaye :-)

    Mr Singh@ Dhanyawad :-)

    ReplyDelete