Tuesday, June 23, 2009

मोहे पिया मिलन की आस

कागा सब तन खाइयो , मेरा चुन चुन खाइयो मॉस,
दो नैना मत खाइयो , मोहे पिया मिलन की आस..

रंग मैं अब कोई ना जानू , सब रंग एक समान,
नाम पिया का इन्ह होठो पर , याद नहीं कोई नाम....

उन बीन जैसे मैंने मिटटी हू , ना मुझ में कोई बात,
ये नैना रास्ते पर कब से , मोहे पिया मिलन की आस..

ये सावन भी मुझे जलाये,ऐसा तपे शरीर,
हर आहट मुझे लगे पिया की, नैन बहाहे नीर...

वो आये तो ये ना सोचे,मैंने तकी ना उनकी बाट,
मैं भी सब जग ही हो गयी, किया उन्हें ना याद...

वो आये तो उनसे कहना,मैंने पल पल देखी राह ,
दो नैना ये खुले रहे , इन्हें पिया मिलन की आस..

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