Monday, June 22, 2009

तू मेरे साथ चला कर

शाम ढले जब दिन ढलता है , सूरज आपने चाँद को ताकता है,
चाँद की गोद में छुप कर , आपनी थकन को कम करता है...

नदी भी सागर से मिलकर , आपनी साँसों को मद्धम करती है,
हवा भी फूलो से टकरा कर ,खुसबू को संग ले कर चलती है...

तू भी तो मुझसे आ कर मिल , इन्ह साँसों को तू मद्धम कर,
सूरज की सोने सी किरणों में , मैंने तुझको तू मुझको देखा कर...

ले मेरे हाथो को हाथो में , हर पल मुझको तू थमा कर,
अब चलना नहीं मुझे अकेले , तू भी मेरे साथ चला कर...

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